आज का
उभरता चेहरा
आज तक
यही होते आया है,की
जिसके हाथ में सत्ता उसकी पुरी पिढी सत्तामे होगी।जिसकी लाठी उसकी भैंस।पर अब का
युवा वर्ग जाग चुका है।राजनिती को हमेशा-हमेशा से ही
ग॑दा माना गया है।पर ये ग॑दगी
आयी कहासे ?क्यु ये ग॑दगी
साफ नहीं होती ?क्यो हमेशा सत्तासे गिने चुने मुठ्ठीभर लोगों के हाथों
मे ही है।क्या बाकी लोगमे काबीलियत नहीं है?या
सिर्फ गुलामियों की तरह पिढी दर पिढी
चलती आ रही वहीं गुलामियों को हमेशा-हमेशा हमेशा हम कबुल
करे ले? क्यों आखिर क्यों ?
यही
गुलामी की जंजीरो को तोड़कर
मन में आजादी
की उमंग लेकर, वो आजादी
जो अटलजी ने दी,
वो आजादी जो बाबासाहेब
ने दी, वो आजादी
जो महात्मा फुलेजी ने दी
। उठो और ज्ञान
का दामन थामकर आगे बड़।
वो ही विचारोंके
आजादी जो वसंतराव नाइकजी
ने दी।
इतने बड़े बड़े महात्मा इस पुण्य
भूमिपर आकर आपने ज्ञान का विस्तार
किया उस धरती पर की
है ये कहानी, एक गरीब
परिवार की सुकन्या गायत्री राठोड जिसका जन्म अमरावती महाराष्ट्र में हुआ।
विमुख जाती/ जमाती में पैदा हुए जहाँ ज्ञान सिर्फ नाम मात्र है । ऐसे
जाती में संघर्ष करके आगे बढ़ाते बढ़ते उस मुकाम
पर आकर खड़े हुए जहाँ सभी को गर्व
हो। एक
कुशल प्रशासक, प्रधान अध्यापक,जीवाणुतत्ववेत्त,अंकीय संचारक,अध्यापक, व्याख्याता और वक्ता
ऐसे कितने और
भी सामाजिक पदोंपर काम किये है।
शैक्षणिक योग्यता देखा जाए तो ।
एमएससी सूक्ष्मजैविकी,
एममेड (ICT), MBA (IT) M.Phil (शिक्षा) में हुआ है।
साथ में बहोत से समाज
कार्य भी ये करती
नजर आते है और
आज भी करती ही रहते
है। विशेष
रूप से शैक्षणिक
क्षेत्र में जहाँ मुलभुत शिक्षा जरुरी है।
समाज कार्य फेर वो कोरोना
से जुड़ा हो जैसे
की कर्नाटक से कुछ
२० लोग महाराष्ट्र
में काम की सिलसिलेमें
आये थे और फस
गए, उनका राशन पानी रहने की बंदोबस्त जैसे
मदत कार्य हो या
फेर विद्याथी गण हो
, वो मोर्चा
हो या कोई महिला पर का
अत्याचार ह।
अपनी जमींन से
जुड़े हुए कोई भी काम
हो वो ये आज
तक करते रहें है। नोकरी के कार्यकाल
में ज्यादा तर रीसर्च
का मौका मिला। अनुसूचित जातियों को छात्रों
को अपना हक का
त॑त्रशिक्षण
का त॑त्रशिक्षण का ज्ञान मिले इसके लिए प्रयास किया गया। कुशल नेतृत्व कार्यकाल और तिक्ष
तल्लक बुध्दी से कठीण
कार्य को इन्होने आसानी से पुरा
किया।सारी
मुसीबतों को लांघ कर।पर्यावरण से जुड़े
हुए हैं इसलिए कचरे में से इंधन
बनानेका सफल प्रयोग किया। राष्ट्रीय और आ॑र्तराष्टीय
स्तरपर स॑शोधन प्रकाशित किया। पुस्तकें प्रकाशित किया है, अन्य
प्रमाणपत्र
हैं, युनिवर्सिटी of Leeds
and Institute, University of Wollongong Australia,TCS इससे जुड़ी और भी
कई उल्लेखनीय प्रमाणपत्र हैं । अपने लोगो के लिए
तत्पर होकर मदत का हाथ
बढ़ाना कोई इनसे सीखें। जहां आज़ लड़कियों को कहीं
न कहीं बाधाये आती है वहा
बेधड़क अपना काम कर आतें
हैं। विद्याथिर्यों को विज्ञान विषय कैसे आसानी तरीके से सिखाया
जाता है। अध्ययन-अध्यापन पद्धतियों में स॑शोधन किया। कुछ अच्छी छोटी -बडी स॑घटनोसे जुड़ी हुई हैं, निस्वार्थ सेवा का एक
बड़ा अजुबा हिस्सा जिताजागता उदाहरण कु.गायत्री
राठोड है। सरस्वती देवी स्वय॑ ईनपर है प्रसन्न
है ये नज़र आ ता
है।जिसे अपने ज्ञान को हमेशा-हमेशा प्रकाशित करती रहती है।
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